भ्रस्टाचार की सत्य कथा पाठ -3

 

आखिर वर्षो पुराने गवन कर्ता का, बरी कर्ता कौन ?  

दोनो आर टी आई में जानकारी नहीं, सिस्टम हुआ मौन


लाखों रुपयों के गवन कर्ता (लग-भग ३०या३५लाख रूपयों) का जांच पृतिवेदन बनाकर देने वाले जिला पंचायत अधिकारी ने कोनसी गलती किया है?जिसे क ई  वर्षों बाद जिला पंचायत अधिकारी ने फिर से जांच पृतीवेदन देकर बरी करने का आधार बनाया है/

इस प्रकार वर्षों से न्यायालय में केस चलने के बाद  पुनः जांच पृतिवेदन देकर वर्षों पुराने गवन कर्ता को बचाकर ,बरी  कराया जाना कैसे संभव हुआ है इस बात पर जनता एवं जनारदन सभी अचंभित हो रहे है और अचम्भा यह भी है कि दो-दो आरटीआई माननीय न्यायालय सिवनी जिला सिवनी मध्य प्रदेश एवं जिला पंचायत जिला सिवनी मध्य प्रदेश को सफलता पूर्वक प्रेषित है और द्वितीय अपील के बाद आज तक जानकारी नहीं दी जा सकती है|

यदी गवन कर्ता बरि हुआ है तब आरटीआई में जानकारी छुपाकर माननीय न्यायालय तथा जिला पंचायत अधिकारी क्या सिद्ध कर रहे है या क्या छुपा रहे है/ हमारे देश में महामहिम राष्ट्रपति कार्यालय भी आरटीआई पर स्वयं जवाबदार होता है इसका पृमाण पूर्व की दूसरी किस्त में दिया जा चुका है/

फिर भी आज तक मे दोनो आर टी आई की जानकारी आवेदक को नही दी गई है इससे गवन कर्ता को बचाने में आरटीआई की जानकारी छुपाया जाना सिद्ध हो रहा है विचारणीय तथ्य यही है कि जानकारी रोककर बचाया जा रहा है |ऐसी स्थिति में माननीय न्यायालय न्यायिक,लोक हित एवं शासन की हानि बचाने के लिए स्वयंम  संज्ञान  में इस पृकरण को  लेकर न्याय कर सकता है,

 परन्तु अब वह युग बीत चुका है/इस हेतु राष्ट्रीय जांच एजेंसी सीबीआई या ई डी से ही बात बनेगी/इस लिए यहां यह भी बताना उचित है कि केवल सिंह परते जी ने सिवनी जिले से बरघाट तहसील के बीच मुख्य मार्ग पर एक पेट्रोल पंप अपने सुपुत्र राहुल परते के नाम पर लगाकर अपने आप को फंसा लिया है, क्योंकि पेट्रोल पम्प  पंचायत स्पेक्टर की आय से अत्याधिक सम्पत्ती का विकट नमुना है/

इसे लेकर चर्चित भमनडर, नमामि भ्रष्टाचाराम अर्थात भृष्टाचार करने वाले भी भौं चक्के हो गये है जनता के पास अंतिम विकल्प के रूप में जनहित की प्रार्थना शेष है जिससे वर्षों बाद ऐसा क्या हो गया है| जिसे छुपाया जा रहा है छिपे हुए रहस्य में यदि जिला पंचायत अधिकारी स्वयं को बचा रहे हैं/या गवन कर्ता को बचा रहे हैं| आखिर में इस गुत्थी को कब और कैसे हल किया जाएगा ? शासन को लाखों -लाखों रूपयों की हानि एवं जनहित के सत्यानाश पर गंभीर कार्यवाही होना ही चाहिए

 कृमश: एस०दास


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