छोटे कर्मचारियों पर कानूनिक कार्यवाही और बड़े अधिकारियों पर हो रही मेहरबानी ।
बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों को ढाल बनाया गया है।विख्यात हिंडोलिया एवं के. के. सोनी भ्रष्टाचार के मगरमच्छ हैं और कार्रवाई अधनों पर हुई है इस प्रकार 1 करोड़ 65 लाख का गवन शिवदयाल तंतुवाय रिपोर्ट करता प्रबंधक सत्यनारायण बघेल कंप्यूटर ऑपरेटर अभिषेक कटरे शोभाचंद बघेल दैनिक वेतन भोगी। इन तीनों को अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया गया है। ताखला जैसी डिफाल्टर संस्था को केंद्रीय बैंक की अनुशंसा से काम सौंप दिया गया। इसलिए बैंक की प्रमुख भूमिका है। इसे गंभीर कार्रवाई नहीं करके लाभ लिया गया है। भ्रष्टाचार का सूत्रधार तो यही है।
समिति को उपार्जन केंद्र बनाने में जिन अधिकारियों ने आपत्ति नहीं दिए अर्थात गुपचुप तरीके से सहयोग किए हैं। इन पर भी कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि डिफाल्टर सोसाइटियों को धान उपार्जन केंद्रीय मैं उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है मैनेजिंग डायरेक्टर को फोन किया गया किंतु उसने फोन नहीं उठाया अर्थात अपने बचाव में ऊपर के अधिकारियों एवं जांच अधिकारियों को अपने बचाव में कमीशन दिया जाना सिद्ध हो रहा है और यही कारण है कि गंभीर रूप से जिम्मेदार होते हुए कार्यवाही से बाहर रखे गए हैं। इस प्रकार कार्यवाही को औपचारिकता के अंतर्गत मात्रा विख्यात हिंडोलिया ताखला समिति उपार्जन केंद्र का प्रबंधक के. के सोनी महाप्रबंधक मात्र यह दो ही कार्यवाही में रखे गए हैं।
उनके पीछे उनके आकाओं को बचाने वालों पर भी अति गंभीर कार्रवाई होनी चाहिए इस प्रकार 1 करोड़ 65 लाख की राशि का गवन के मास्टरमाइंड उक्त अधिकारियों पर अति गंभीर कार्यवाही होनी चाहिए और लगभग 200 किसानों के खाते में आज दिनांक तक धान का पेमेंट नहीं दिया है जिससे किसानों की आंखों में आंसू छलक रहे हैं, जो की अन्नदाता है एवं ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता है। घर में बैठकर रो रहा है इन्हें लाभ तत्काल लाभ दिलाना चाहिए इस प्रकार डिप्रेशन में दरबदर की ठोकर खाने के बात यदि कोई किसान आत्महत्या कर लेता है तब इसकी जिम्मेदारी शासन एवं प्रशासन की होती है। इसलिए सबसे पहले किसान के खाते में उसकी फसल की राशि डलवाई जाए और यदि किसान आत्महत्या करते हैं तब उसमें शासन प्रशासन की जिम्मेदारी होगी। 1 करोड़ 65 लख रुपए की राशि गबन परदे के पीछे छिपे हुए अधिकारियों से वसूलने की कार्यवाही करें।
किसानो की लूट में उच्च अधिकारियों ने योजना अनुसार षड्यंत्र पूर्वक कार्य कराये हैं। और असफल होने पर नीचे के कर्मचारियों को दोषी बनाकर स्वयं बड़े अधिकारियों येसोआराम का जीवन जी रहे हैं और किसानों के आंसू गिर रहे हैं। इसमें C.B.I. जाँच अनिवार्य है जिससे ऊपर के सभी भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर उनकी अर्जित संपत्ति सहित कार्यवाही होगी फिर येसा भ्रष्टाचार का खेल नहीं खेला जायेगा। जनता भ्रष्टाचार की लीपा-पोती की कार्यवाही पर अचंभित हैं।