बरघाट क्षेत्र राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है, क्योंकि पवार जाति बाहुल्य होने से यहां की राजनीति पवार समाज के ही इर्द-गिर्द घूमने लगी है। इससे सजाती लोग अपना-अपना लाभ लेने हेतु आपस में लड़ रहे हैं इसी का परिणाम यह है कि जनपद अध्यक्ष पति को साथ देने और सिवनी से आने- जाने की सजा के रूप में पूर्व सचिवों के अध्यक्ष का पद समाप्त हुआ है। अब झूठे या सच्चे हस्ताक्षर करने से अध्यक्ष का दिल जलाया जा रहा है। महोदय जी राजनीति बहुत ही गंदी होती है इसमें दिल के साथ-साथ नीचे भी आग लग जाती है। बरघाट की राजनीति में (एसडीओ...............................) और जनपद अध्यक्ष पति की गंभीर खींचतान को सभी लोग जानते हुए अक्सर जगह-जगह चर्चा करते हैं कि एक मंत्रालय का दम भरता है और दूसरा सरपंच सचिवों एवं रोजगार सहायक के संगठन को अपना बता कर उक्त एसडीओ को बरघाट एवं जिले से बाहर का रास्ता दिखाए जा रहा है स्वार्थ टकराने से राजनीति का गंदापन उबाल मार रहा है। अध्यक्ष पति को राजनीति की सजा बेहतर रूप से मिली है भले ही गुट बंदी का दूसरा पक्ष अपनी पीठ को अपने हाथ एवं मुंह से ठोक रहा हो।कहने का आशय यह है कि दो सांडों के जैसी लड़ाई होने से बाड़ी का चुराड़ा होने लगा है। जनहित और साशन हित छोड़कर गुटबंदी के खेल पर जनता अंकुश नहीं लगा सकती है, परंतु इसमें जिला प्रशासन स्वयं संज्ञान ले सकता है। इस गुट बाजी मे कौन कितना बड़ा खिलाड़ी है, यह समय ही बताएगा तथा साथ ही नमामि भ्रष्टाचारम् में कौन कितना बड़ा है।यह भी स्पष्ट हो जाएगा हम तो देश और जनता की भलाई चाहने वाले लोग हैं
एस दास