शिक्षा को व्यापार बनाने वाले भ्रस्टाचारियों ने इन गरीब बच्चों को भी नहीं छोड़ा {दोनों हाथ घी मे सर कढ़ाई मे}


RTE योजना गरीब प्रवृत्ति के बच्चों को शान द्वारा अच्छी शिक्षा प्रदान करना एवं ऐसे बच्चों को कापी किताबें एवं यूनिफॉर्म उपलब्ध कराना है लेकिन जब से यह योजना लागू हुई है तब से प्राइवेट स्कूलों की चांदी चांदी हो रही है दोनों हाथ घी में और सर कढ़ाई में है शासन की जनकल्याणकारी योजना शिक्षा का अधिकार अधिनियम का शिक्षा को व्यापार बनाने वाले भ्रस्टाचारियों ने इन गरीब बच्चों को भी नहीं छोड़ा इन गरीब बच्चों का भी हक मार ले रहे हैं फीस तो ठीक है लेकिन बोलने वाला कौन है स्कूल ड्रेस एवं किताबों का भी पैसा गटक लिया जाता है आज तक सिवनी जिले एवं बरघाट तहसील के नामी प्राइवेट स्कूलों ने आज तक इस नियम का पालन नहीं किया है। 

किसी भी प्राइवेट स्कूल में यूनिफार्म एवं किताबें नहीं दी गई है। यह शिक्षा के अधिकार का गला घोंटना नहीं है तो क्या है? शासन ने यह योजना इसलिए चलाई है कि गरीब वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। इन स्कूल संस्था को शासन द्वारा पर बच्चों के हिसाब से सीट पूर्वक मुआवजा देती है। जिससे स्कूल संस्था द्वारा बच्चों को ड्रेस किताबें एवं शिक्षा में लगने वाली सामग्री दे सके, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है ठीक ऑपोजिट जरूर होने लगा है। किताब देने की बजाए  मार्केट से खरीदवाई जा रही है वह भी इन भ्रष्टाचारियों के द्वारा चयन की हुई स्टोर पर अपने मनमाना ढंग से अनाप-शनाप रेट पर किताबें कॉपियां मिल रही है। 

वहीं ₹80रुपये की शर्ट ₹300रुपये एवं साथ में दो और ₹70 वह भी तीन ₹300 में मतलब एक टी-शर्ट और लोअर बच्चे का ₹150 में मिलने वाला ₹600 में मिलता है। किताबें 2000 से 4000 के बीच एल. के.जी एवं यूकेजी।इसमें गरीब इंसान हताश हो रहे हैं। इस प्रकार से शासन की योजनाओं का गला घोटा  जा रहा है। इस सारे माजरे को स्वयं जिला प्रशासन सर्च करें तो पता चल जाएगा की शिक्षा का सफेद भ्रष्टाचार बड़ी आसानी से किया जा रहा है। इस योजना से शिक्षा माफिया के दोनों हाथ घी और सर कढ़ाई में है जरूरत पर क्रमशः।

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