"देश आसमान की ऊंचाई पर और भ्रष्टाचार की जड़े पाताल में गड़ी। कूट रचित एवं फर्जी जाति प्रमाण पत्रों से देश तथा " "प्रदेश की खटिया खड़ी।"

 






"देश आसमान की ऊंचाई पर और भ्रष्टाचार की जड़े पाताल में गड़ी।
कूट रचित एवं फर्जी जाति प्रमाण पत्रों से देश तथा " "प्रदेश की खटिया खड़ी।"

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली ने 15 दिनों में कोई टिप्पणी भेजें।अन्यथा मामले को बंद समझा जायेगा का विषमयकारी लेख किया है। सत्यमेव जयते पत्र दिनांक 28.3.2024 में "ठीक ढंग से दर्शन कर लें" क्योंकि मैं 28.10.2023 के अभ्यावेदन को आवेदक द्वारा अपने आप को दिया जाना जबकि आवेदक ने यह आवेदन किसी उच्च जांच संस्था प्रेषित किया है और संस्था ने आवेदक का प्रकरण आयोग को गंभीर कार्यवाही की अभिलाषा से दिया हुआ है 

इसमें सिवनी जिला मध्य प्रदेश के कलेक्टर से जांच कराई गई है जबकि आयोग को ज्ञात होना चाहिए था की जाति प्रमाण पत्र फर्जी एवं कूटरचित है और सोहागपुर जिला मध्य प्रदेश से निर्मित है। फिर दूसरे जिले से बने जाति प्रमाण पत्र की जांच सिवनी जिला कलेक्टर से क्यों बनाई गई है? जैसे आयोग ने गलत जिले के कलेक्टर से जांच कराया है ठीक ऐसे ही सिवनी जिले के कलेक्टर क्षितिज सिंगला ने दूसरा सुहागपुर जिले के फर्जी जाति प्रमाण पत्र को अर्थात गलत को सही बता डाले हैं 

हमारे देश के उच्च पद पर आसीन प्रशासनिकों को नियम कानून एवं कायदे विषमित स्मृति से गायब हो रहे हैं। इसलिए भ्रष्टाचार की जड़े पाताल में गड़ी हैं। देश तथा प्रदेश की खटिया खड़ी है और इस प्रकार करोड़ों अरबों  रुपयों की हानि शासन उठा रहा है और प्रशासन को अपने-अपने लाभ की पड़ी है। अब दूसरा प्रमाण पुनः देखें। इसमें आर.टी.आई के आवेदन पर मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग ने आवेदक।को फाइल क्रमांक/290 भोपाल दिनांक 14, 6, 2024 को प्रेषित किया है। इसमें क्षितिज सिंगल कलेक्टर जिला सिवनी मध्य प्रदेश का जाति प्रमाण पत्र कार्यालय में संधारित नहीं है। 

यह निर्णय ठीक है किंतु शैक्षणिक दस्तावेज से संबंधित जानकारी पर एक कलेक्टर महोदय को तीसरा पक्ष मानते हुए सहमति। असहमति के कारण सिवनी जिले के कलेक्टर ने असहमति का लेख किया है। हिंदी भाषा की एक कहावत है कि "साँच को क्या आँच"अर्थात जिला सिवनी कलेक्टर महोदय जाती प्रमाणपत्र एक कूट रचित दस्तावेज संदेह के कारण अनिवार्य रूप से कूट रचित दस्तावेज संदेह के कारण गंभीर जांच का विषय है। इस लिए जिला अध्यक्ष जिला सिवनी मध्य प्रदेश में इस प्रकरण को जांच एजेंसी इकाई की और प्रेषित किया जा चुका है।

साइटेशन 
देखो इसमें स्पष्ट है कि जब कोई भी दस्तावेज किसी फोरम को दिए जाते हैं तब वह दस्तावेज प्रशासनिक हो जाते हैं। अर्थात कलेक्टर महोदय, इसमें तीसरा पक्ष नहीं है और जानकारी दे देना था। बड़ों की गलती पर कोई ध्यान नहीं देता है। इसलिए छोटों को सम्हल-सम्हल कर लिखना होता है।
                                                                राष्ट्रहित सर्वोपरि धन्यवाद जी।
 
एस दास 


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