मध्य प्रदेश सरकार का 181 पोर्टल बना भ्रष्टाचार्यों का काल

वैसे तो 181 पोर्टल भ्रष्टाचारियों का काल बन गया है और शिकायतें लगते ही करप्ट अधिकारियों की पतलून गीली होने लगती है जो यह शिकायतों में बिना जांच के ही फर्जी प्रतिवेदन डाल देते हैं और शिकायतों को फर्जी तरीके से बंद कर दी जाती हैं इससे तंग आकर शिकायतकर्ता फिर से शिकायत कर देता है तो उस पर भी यह शिकायतकर्ताओं से अभद्रता पूर्वक बात करते हैं जैसा की ग्राम पंचायत मनोहरपुर की दबंग सरपंच जो की अपने आप ही शिकायतकर्ताओं को उकसाने का काम करती है एवं भ्रमित करती है जिसका कॉल रिकॉर्डिंग में इस समाचार के जरिए नेक्स्ट टाइम में वायरल किया जाएगा इसी प्रकार घंसौर के एक सचिव की जो शिकायतकर्ता को डरा धमकारहा है और कहने लगा कि मैं ग्राम पंचायत से सभी सरपंचों को भड़का कर तुम्हारे खिलाफ एफआईआर करवाऊंगा जो इस समाचार के जरिए प्रकाशित की जा रही है की किस तरह से यह लोग अपनी जालसाजी करते हैं और अधिकारी कार्रवाई से बचने के लिए शिकायतकर्ताओं को भ्रमित किया जाता है यहां तक के शिकायतकर्ताओं को षड्यंत्र कर गांव में बुलाया जाता है और उनके साथ अभद्रता पूर्वक सलूक किया जाता है एवं बातें की जाती हैं एवं उन्हें गिरोह बनाकर पीटने का भी चलन बना लिया है अब ऐसे में अगर शासन की होने वाली छती को शिकायत करता एवं सोशल मीडिया कर्मी अगर उजागर नहीं करेंगे तो यह बात शासन के संज्ञान में कैसे जाएगी जिससे कि इन करप्ट अधिकारियों की कामों की जांच हो सके यही तो यह भ्रष्टाचारी लोग नहीं चाहते शासन ने पंचायती राज क्या दे दिया भ्रष्टाचार्यों के बाप की बपोती बन गई है क्योंकि शासन पैसा तो अनाप-शनाप खर्च करती है विकास कार्यों के नाम पर किंतु विकास ग्रामों का नहीं विकास इन भ्रष्टाचारियों सरपंच सचिवों के घर का होता है माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी 181 पर संगीनता से जांच करवाए एवं इनके कार्यों के स्पाट निरीक्षण की छवि भी प्रस्तुत करवाए की इन भ्रष्टाचार्यों ने स्वीकृति लागत से भी कम बजट में बना देते हैं जो सामने आ जाएगा इन सबसे बचने के लिए यह कागजी कार्रवाई फर्जी करते हैं या तो फिर मौके पर कई कार्य होते ही नहीं है और जब पोर्टली पत्रकार पोर्टल खोलकर देखते हैं और फर्जी बिल वाउचर लग जाते हैं एवं राशि निकल जाती है इस कारण शिकायत करते हैं तो शिकायतकर्ताओं को फर्जी डराया धमकाया जाता है एवं अधिकारियों के द्वारा षड्यंत्र किया जाता है अनर्गल रूप से प्रतिवेदन डाले जाते हैं और यही चलन 181 में इन करप्ट अधिकारियों के द्वारा चलाया जा रहा है कुछ लोग तो कहते हैं की 181 में कुछ नहीं होगा क्योंकि पावर हमारे पास है हम ऊपर भोपाल जाकर बड़े अधिकारी को साठ-गाठ करके हम शिकायत उड़वा देंगे हमारी बहुत पहुंच है और हम यह कमीशन ऊपर तक देते हैं इससे यह समझ में आता है कि जनहित एवं शासन हित की राशि आई तो है ग्रामों में परंतु क्रम अनुसार ग्राम से रिवस भोपाल से ट्रांसफर की गई राशि कमीशन की तौर पर बड़े-बड़े अधिकारियों तक खरबूजे के टुकड़े की तरह बट जाता है जिससे शासन को एवं जनहित को लाखों करोड़ों का नुकसान होता है

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form