PB01 NEWS TV ( RAHUL SHARMA ) जालंधर, 4 नवंबरजालंधर आरटीओ के अधीन आने वाले ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर एक बार फिर से फर्जीवाड़े की गूंज सुनाई दी है। इस बार मामला बेहद गंभीर है — आरोप है कि विदेश में बैठे एक युवक का टेस्ट पैसे लेकर पास कर दिया गया और उसके नाम पर ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिया गया। इस सनसनीखेज प्रकरण की शिकायत समाजसेवी संजय सहगल द्वारा प्रिंसीपल सेक्रेटरी ट्रांसपोर्ट, चीफ डायरेक्टर विजीलेंस ब्यूरो पंजाब और आरटीओ जालंधर को सौंपी गई है। आरोप एटीओ कमलेश कुमारी पर लगे हैं, जिन पर कार्रवाई की मांग की गई है।
सूत्रों के अनुसार, कृष्णा खुराना नामक युवक, जो विदेश में स्टडी वीजा पर गया हुआ है, के नाम पर 13 अक्टूबर 2025 को लाइसेंस नंबर PB08 20250008059 जारी किया गया। जबकि युवक उस दिन भारत में था ही नहीं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह लाइसेंस 5 जुलाई 2024 से शुरू हुए आवेदन के बाद एक साल से अधिक समय में अप्रूव हुआ, जिसके दौरान चार बार लर्निंग लाइसेंस को रिन्यू करवाया गया। जांच में खुलासा हुआ कि मोबाइल नंबर भी बदला गया ताकि आवेदन प्रक्रिया में आने वाला ओटीपी असली व्यक्ति तक न पहुंचे और सारा फर्जीवाड़ा पर्दे के पीछे से किया जा सके।
मामले के उजागर होने के बाद आरटीओ अमनपाल सिंह ने तुरंत एटीओ विशाल गोयल को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया है और एटीओ कमलेश कुमारी से दो दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। आरटीओ का कहना है कि चाहे कोई बड़ा अधिकारी या कर्मचारी क्यों न हो, दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई से बच नहीं पाएगा। वहीं, एटीओ कमलेश कुमारी का कहना है कि उन्होंने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और चंडीगढ़ से कैमरा रिकॉर्डिंग मंगाने के लिए पत्र भी लिखा गया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उस दिन टेस्ट किसने दिया था।
एसटीसी परणीत शेरगिल ने भी कहा है कि उन्हें शिकायत की जानकारी प्राप्त नहीं हुई थी, लेकिन अब इस पर जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों को पहले से इस गड़बड़ी का संदेह था और अंदरखाते जांच जारी है। सीसीटीवी फुटेज, वाहन की ड्राइविंग रिकॉर्डिंग और आवेदन प्रक्रिया से जुड़े सबूतों की जांच के बाद ही पूरे घोटाले का पर्दाफाश संभव होगा।
यह पहला मौका नहीं है जब जालंधर ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं। कुछ वर्ष पहले भी इसी तरह के स्कैंडल में निजी कंपनी “स्मार्ट चिप” के कर्मचारी पर सैकड़ों जाली लाइसेंस जारी करने के आरोप सिद्ध हुए थे, जिसमें करीब डेढ़ करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि तत्कालीन डीटीओ आर.पी. सिंह ने की थी। अब एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आने से आरटीओ विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, और माना जा रहा है कि अगर विजीलेंस विभाग की जांच निष्पक्ष हुई, तो जालंधर ट्रैक पर चल रहे इस काले खेल का बड़ा खुलासा हो सकता है।
