"छोटे किसानों को सजा बड़े मॉल गुजारों की मजा "

सिवनी जिले के विकासखंड बरघाट के अंतर्गत धान खरीदी केन्द्रों में किसानों को लगाया जा रहा चुना एवं जहां धान 40 किलो 600 ग्राम 700 ग्राम लेना चाहिए वहां धान खरीदी केन्द्रों में 41.200 / 300 लिया जा रहा है एवं किसानों से बारदाना बोरे लेने के लिए राशि ली जाती है एवं कांटा करवाने से लेकर धान भरवाने तक लेवर को किसानों द्वारा राशि दी जाती है जब हर जगह किसान राशि खर्च करेगा तो बचाएगा क्या और कृषि करेगा क्या सोचने का विषय है कि शासन की योजनाओं में कुछ अधिकारियों की लापरवाही से वित्तीयअनियमिताएं की जा रही है जिससे किसान हो रहे कंगाल अगर धान खरीदी केंद्रों का निरीक्षण किया जाए तो एक तरफ से सिवनी जिलों की समस्त धान खरीदी केंद्रों में लफड़े ही लफड़े पाए जाने की आशंका है और हर खरीदी केंद्र में सिर्फ किसान ही परेशान हो रहा है और जो व्यापारी है वह पैसे का बस जमा कर काम करवा लेते हैं और किसान लाइन में खड़ा रहकर जी हजूरी करते रह जाता है इसी तरह एक मामला ग्राम पंचायत निवारी धान खरीदी केंद्र का मामला सामने आया है जहां किसान द्वारा स्लाट बुक समय सीमा पर धान तोले काटा करवाई और किस की धान मिलर के पास चली गई लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर भारत द्वारा धान नहीं चढ़ने के कारण किसान की स्लाट पंजीयन की डेट खत्म हो गई जिसके कारण की आप देख लो अपनी धान चड़वाने चार दिनों से उनके पास तमाशा करता रहा लेकिन उस सीहाने आदमी की तनिक भी ख्याल नहीं आया इन्होंने अपने कमीशन के चलते बड़े मॉल गुजारों से अपना कमीशन लेकर मालगुजारों की धान नापी है एवं उनकी पर्ची अपडेट भी कर दी है और छोटे किसान कई छोटे किसान की पर्चियां ही अपडेट नहीं की गई है ऐसे एक नहीं जिले में समस्यकारी समितियां में यह हाल हैं की मालगुजार अपनी मालगुजारी से 60 घाट करके अपना काम चिकना तो कर लिया लेकिन समय के अभाव के कारण छोटे किसानों का दीवाना भी निकल गया इस कारण जो पंजीयन सलात की डेट खत्म हुई है और धन चल गई इसकी जवाबदारी समिति की है या जिला प्रशासन की है?

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